Friday 8 September 2017

आँख मूंद लीजिये

                             आँख मूंद लीजिए
देश डूब रहा है ,लोग डूब रहे हैं पर आप, आप आँख मूंद लीजिए ।क्योंकि आपको ऐसा लग रहा है कि आप सुरक्षित हैं पर दरअसल ऐसा नहीं है। ये आपका वहम है। देश की राजनीति निरंतर दलदल में धंसती जा रही है और हम महज मूकदर्शक बने हुए हैं। सबके अपने-अपने नेता हैं और अपनी -अपनी पार्टियां ।जिनके साथ हम चिपके हुए हैं पांच रुपए वाले फेवीक्विक के जोड़ की तरह ।उनके किए गए हर सही- गलत को बस सही बनाने में हम लगातार कार्यरत हैं।
 राजनीति आज धोखाधड़ी,फरेब और भ्रष्टाचार का पर्याय हो गई है। धर्म की राजनीति तो खूब फल-फूल रही है पर राजनीति का धर्म लगभग खत्म हो गया है। किसी निर्दोष की हत्या पर, किसी गरीब की लाचारी पर, सिंहासन पाने की खरीद-फरोख्त पर आप आंख मूंद लीजिए ,क्योंकि प्रत्यक्ष रुप से यह आप पर कोई प्रभाव नहीं डालती।
बाकी आपका फैसला अंतिम फैसला होगा...
मुकुल सिंह चौहान

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