Saturday 2 June 2018

प्रदूषण,अमानवीयता और तूतीकोरिन

प्रदूषण,अमानवीयता और तूतीकोरिन

भारत दुनिया का तेज गति से विकास करने वाला देश है जहां एक ओर भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व में विख्यात हो रहा है।वहीं दूसरी ओर विश्व के शीर्ष पाँच प्रदूषित देशों की श्रेणी में आने से भारत की छवि खराब हो रही है।

क्या है तूतीकोरिन मामला ?

तूतीकोरिन तमिलनाडू का तटीय शहर है। वहाँ वेदांता इंडसट्रीज़ की स्टरलाइट कंपनी स्थित है जहाँ कॉपर को मेटलर्जिकल प्रक्रिया द्वारा बनाया एवं शुद्ध किया जाता है। कंपनी सभी नियम, कायदे और कानून ताक़ पर रखकर धड़ल्ले से कॉपर का निर्माण कर रही है ।जिससे तूतीकोरिन में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है ।स्थानीय लोग इस प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं।आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा तूतीकोरिन के आसपास के जल में सामान्य से अधिक पाई गई है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।

मजदूरों के साथ हो रहा अमानवीय व्यवहार-

एक कंपनी को चलाने में मजदूर अपनी जान लगा देता है और ऐसी स्थिति में वह कंपनी से मानवीय व्यवहार की आशा तो कर ही सकता है।स्टरलाइट कंपनी में काम करने वाले कई मजदूरों ने अपने हाथ-पैर खो दिए हैं।इन दुर्घटनाओं का सामना करने के बाद भी उन मजदूरों को कंपनी की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई सहायता उपलब्ध नही कराई गई। कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार निःसंदेह अमानवीय है।

मद्रास हाइकोर्ट कर रहा है जाँच-

NHRC(National Human Rights Commission Of India) ने स्टरलाइट कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिया है और तूतीकोरिन में हुई हिंसा की जाँच मद्रास हाइकोर्ट और रिटायर्ड जज के हांथों में सौंप दी गयी है।
यह मामला सिर्फ एक प्रदेश तक सीमित नही है अपितु सम्पूर्ण देश को इसपर विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि एक लोकतांत्रिक देश में जनता की हर जायज़ मांग को पूरा करना सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है।

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