Monday 2 July 2018

कौन है देश की दुर्दशा का ज़िम्मेदार?

कौन है देश की दुर्दशा का ज़िम्मेदार?

जब राजनीति शोर मचा रही हो तो जनता की आवाज आखिर कैसे सुनाई देगी? आज देश की राजनीति ने जनता को जाति-धर्म के मकड़जाल में फंसा दिया है। हम अपने अतीत से प्रेरणा ना लेकर भविष्य की ओर निवेदित होते जा रहे हैं। हम इतिहास को झुठला देना चाहते हैं। इस राजनीति ने खुद को सुरक्षित रखने का एक बहुत अच्छा रास्ता निकाल लिया है।जब-जब जनता सवाल पूछे कोई मुद्दा उठा लो और उसको राष्ट्रीय मीडिया के हाथों में गेंद की तरह खेलने के लिए सौंप दो और मीडिया के मंझे हुए खिलाड़ी कोट, पैंट और टाई पहनकर उस मुद्दे से खेलते रहेंगे ।

यह आज ही नहीं हो रहा है इतिहास गवाह है इस तरह की राजनीति देश में हमेशा से होती रही है और इसका लाभ  राजनीति को हमेशा मिला है। इतने शोर में ना तो किसान के मुद्दों से राजनीति को सामना करना पड़ेगा,ना छात्रों के सवाल सुनाई देंगे ,ना पानी की त्रासदी की आवाज सुनाई देगी,न बिजली का संकट सुनाई देगा और राजनीति दिन प्रतिदिन चमकती रहेगी और निखरती रहेगी ।यह शोर मचाना भारतीय राजनीति में किसी एक दल का काम भी नहीं है ।हर पार्टी इस शोर से अपना शोर मिलाकर इस शोर को और ऊँचा स्वर देती है।सब बराबर के हिस्सेदार हैं  और इस देश की दुर्दशा के बराबर के जिम्मेदार। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव नज़दीक हैं ऐसे में आखिर कौन सुनेगा जनता की आवाज़ ?
-मुकुल सिंह चौहान

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